SC/ST एक्ट में गिरफ्तारी से पहले जांच अनिवार्य करने के मामले में केंद्र की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट फैसले में बदलाव से साफ इंकार कर दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट कहा हमने SC/ST एक्ट के प्रावधानों को छुआ भी नहीं है, हमने सिर्फ तुरंत गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों पर लगाम लगाई है. इस मामले में केस दर्ज करने, मुआवजा देने के प्रावधान बिल्कुल बेअसर हैं.

कोर्ट ने यह भी कहा कि SC/ST एक्ट में केस दर्ज दर्ज करने के लिए प्रारंभिक जांच जरूरी है. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पीडित को मुआवजे का भुगतान तुरंत किया जा सकता है चाहे शिकायत आने के बाद FIR दर्ज ना हुई हो. कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि FIR IPC के अन्य प्रावधानों पर दर्ज हो सकती है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी इस प्रकार है:
-कोर्ट ने जो सुरक्षा उपाय किये है ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले.
-ये अकेला ऐसा कानून है कि जिसमें किसी व्यक्ति को कोई कानूनी उपचार नहीं मिलता.
-अगर एक बार मामला दर्ज हुआ तो व्यक्ति गिरफ़्तार हो जाता है.
-इस मामले में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है.
-जबकि दूसरे मामलों में संरक्षण के लिए फ़ोरम है, कोर्ट हैं जो झूठे मामलों में सरंक्षण दे सकता है.
-कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दोषी है तो उसे सजा मिलनी चाहिए लेकिन बेगुनाह को सजा न मिले.
-कोर्ट ने कहा कि प्रेरित, दुर्भावना और झूठे आरोप लगाकर उनकी स्वतंत्रता का हनन नहीं कर सकते.

जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने ये भी कहा कि इस कानून में आरोपों को वैरीफाई करना मुश्किल है इसलिए इस तरह की गाइडलाइन जारी की गई. जबकि अन्य अपराध में आरोपों को वैरीफाई किया जा सकता है. हम एक्ट के खिलाफ नहीं हैं, हमारा मकसद सिर्फ निर्दोष को बचाना है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो लोग सडकों पर प्रदर्शन कर रहे हैं शायद उन्होंने हमारे फैसले को नहीं पढ़ा. सरकार क्यों ये चाहती है कि जांच के बिना हीलोग गिरफ्तार हो. अगर सरकारी कर्मी पर कोई आरोप लगाए तो वो कैसे काम करेगा. हमने एक्ट को नहीं बल्कि सीआरपीसी की व्याख्या की है.

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