हमारे देश से हर साल कई लोग हज यात्रा पर जाते हैं. जिसमें उनके पैसे भी खर्च होते हैं. पर कई बार कुछ हज यात्री इस बात की शिकायत करते हैं कि हज कमेटी के तरफ से पैसे देने के बाद भी उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई है. इस वजह से उनके मन में पैसे की वापसी का ख्याल भी आ जाता है, ऐसा ही ख्याल एक व्यक्ति और उसके मन में आयेगा, जिसके बाद पैसे वापसी का यह मामला शीर्ष उपभोक्ता आयोग में पहुंच गया.

जिसके बाद शीर्ष आयोग ने पैसे वापसी से साफ मना कर दिया और यह कहा कि ‘हज यात्री उपभोक्ता नहीं हैं इसलिए वो पैसे वापसी का दावा नहीं कर सकते है. बता दें कि एक व्यक्ति और उसके बेटे ने यह दावा किया गया था कि भारतीय हज कमेटी ने 2008 में निम्न श्रेणी की सेवाएं मुहैया कराई जबकि उन्होंने उच्च श्रेणी की सेवा के लिए भुगतान किया था.

इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा कि हज कमेटी बिना किसी लाभ के इरादे से सेवाएं मुहैया कराती है. आयोग ने यह बताया है कि इसलिए यह देखा जाता है कि हज कमेटी अपनी सेवाएं बिना किसी लाभ के इरादे से मुहैया कराती है और वह हज यात्रियों के लिए व्यवस्थाएं करने में होने वाले वास्तविक खर्च वसूल करती है.

बता दें कि भारतीय हज कमेटी द्वारा दी हुई एक अर्जी पर आयोग द्वारा सुनवाई की जा रही थी. जो राजस्थान राज्य आयोग के उस आदेश के खिलाफ में दाखिल की गई थी, जिसमें यह कहा गया था कि अब्बास अली और उसके बेटे फैयाज हुसैन हुई क्षति की पूर्ति की जाए. अब्बास और फैयाज ने 2008 में हज यात्रा के लिए आवेदन करते हुए उच्च श्रेणी की सेवा के लिए ‘ग्रीन कैटेगरी’ का चयन किया था.

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