भारत माता की जय हो
जन गण मन ही विजय हो
हमेशा मन में विश्वास हो
प्यार हो प्रकाश हो
जन जन का विकास हो

जमीं से आसमां तक जय हिन्द का ही उद्घोष हो
दुश्मनों का विनाश हो
गद्दारों का सर्वनाश हो
हमेशा विभूषित रहे धरा(पृथ्वी) हमारी
हमेशा आभूषित रहे उसका तन
कटे न यहां का अरण्य(जगंल)
हमेशा हरा भरा दिखे इस धरती का अंग
हर क्षेत्र में हरियाली हो
भारत की गली गली में खुशिहाली हो

इसके हर भाग पर तिरंगा लहरे
हवा के रूप में बहती रहे खुशियों की सतरंग
गर्व से ऊंचा रहे हर भारतीय का सीना
हमेशा इस धरती का सेवक बनकर रहें वह
गिरता रहे उसके तन से मेहनत का पसीना

किसी मुश्किल में भी कम न हो उसकी हिम्मत
वो गढ़े अपने ही हाथों से अपनी किस्मत
हमेशा उसके पास कर्म का अभिमान हो
उससे भी पहले भारत माता का सम्मान हो

परिस्थिति चाहे कैसी भी हो
पर उसे न हो किसी का भय
सांस चाहे उसकी अंतिम क्यों न हो
फिर भी वो बोले भारत माता की जय
लहू का कतरा कतरा दे जय हिन्द का नारा
न भूले वो कभी इस मिट्टी का सहारा
बस अखंड भारत का देखे सपना
भारत माता से बढ़कर उसका न हो कोई अपना
जुबां पर हरदम रहे ‘जय हिन्द’ का नाम, सम्मान से
भारत का हर सपूत ‘जय हिन्द जय भारत’ कहता रहे, अभिमान से
(युवा कवि रविशंकर चौधरी की तरफ से सभी देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं )

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