बिहार में दलितों को लेकर राजनीति तेज होती जा रही है. एक बड़ा वोट होने के वजह से बिहार की हर सियासी पार्टी दलितों को अपनी तरफ करने की पुरजोर कोशिश में लगी हुई है. यहां तक बीजेपी के खिलाफ जा चुके दलितों को लुभाने की कोशिश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कर रह हैं. क्योंकि ऐसा कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार के खिलाफ अर्कोश जता चुके लाखों दलित नीतीश सरकार की सत्ता को भी हिला सकते हैं. इतना ही नहीं बीजेपी से जुड़े कई दलित नेताओं को सियासी भविष्य पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं.

ऐसे कहा जा रहा है कि तमाम ऐसे नेता अंबेडकर जयंती के बहाने बिहार में दलित सियासत की पृष्ठभूमि तैयार करने में जुट गये हैं. बता दें कि 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर की जयंती समारोह के मौके पर दलित समुदाय के तमाम दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया गया है. केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान दलित समागम का आयोजन कर रहे हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलितों और अत्यंत पिछड़ों को अपने पक्ष में लाने के लिए ढेर सारी योजनाएं बना रखी है. माना जा रहा है कि दलित समागम के दिन मुख्यमंत्री दलितों के लिए ढेरों घोषणाएं करेंगे. सबसे अहम बात यह है कि पासवान समुदाय के लोगों को महादलित में शामिल करने की तैयारी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यक्रम के दौरान इस बात की घोषणा कर सकते हैं.

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि नीतीश कुमार, अशोक चौधरी, श्याम रजक सहित बिहार के तमाम दलित नेताओं को कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया है और दलितों की स्थिति को लेकर कार्यक्रम के दिन चर्चा की जाएगी.

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