बिहार के विभिन्न जेलों में बंद नक्सली कमांडर जेल को अपनी विचारधारा के प्रचार प्रसार के लिए ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर इस्तेमाल कर रहे। खुफिया विभाग की रिपोर्ट है कि विभिन्न जेलों में बंद सात बड़े नक्सली कमांडर की गतिविधि संदिग्ध है। इन नक्सली कमांडर के नाम जारी कर उनपर कड़ी नजर रखने और अन्य जेलों में नक्सलियों की गतिविधि पर नजर बनाये रखने को लेकर राज्य के सभी जिलों की पुलिस को सतर्क किया गया है।
 
खुफिया विभाग की रिपोर्ट है कि जेलों में बंद ये नक्सली कमांडर सिविलियन बंदी और जेल स्टाफ को अपनी विचारधारा का प्रचार प्रसार कर प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। जेल में बंद नक्सली कैडर को निर्देश दिया गया है कि वे बंदी रहने तक अपना समय नक्सलियों की विचारधारा से संबंधित साहित्य पढ़ने, राजनीतिक बहस में शामिल होकर नए कैडर को उनके अधिकार के बारे में बताकर बितायें।

जेलों में बंद जिन नक्सली कमांडर की गतिविधि संदिग्ध पाई गयी है वे विभिन्न नक्सली संगठनों से जुड़े हैं। ये नक्सली कमांडर बिहार झारखंड उत्तरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमेटी (बीजेएनसीएसएसी), बिहार झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी (बीजेएसएसी) और स्पेशल एरिया कमेटी (एसएसी) से जुड़े हुए हैं।
 
भागलपुर सेंट्रल जेल में महिला नक्सली दे रही थी ट्रेनिंग
भागलपुर सेंट्रल जेल में नक्सली द्वारा जेल के अंदर विचारधारा का प्रचार प्रसार करने का मामला सामने आ चुका है। जून 2017 में महिला मंडल कारा में बंद महिला नक्सली कैदी भारती वहीं बंद कैदी रूपम पाठक से भिड़ गयी थी। इस मारपीट में रूपम पाठक गंभीर रूप से घायल हो गई थी। भारती पर आरोप था कि वह महिला मंडल कारा में बंद अन्य महिला कैदियों को नक्सली बनाने के लिए ट्रेनिंग दे रही थी। रूपम पाठक ने इसका विरोध किया तो उससे वह भिड़ गयी। भारती को इस घटना के बाद मुजफ्फरपुर जेल भेज दिया गया था हालांकि बाद में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वापस भागलपुर सेंट्रल जेल लाया गया।

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