नगर निगम के इंजीनियरों द्वारा चिन्हित 118 जर्जर मकान सिर्फ उनमें रहने वाले वाशिंदों के लिए ही नहीं अगल-बगल से गुजरने वालों के लिए खतरनाक बने हुए है। निगम के जिम्मेदारों ने भवन मालिकों को नोटिस तो भेज दी है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर उनकी सुस्ती साफ दिख रही है। कई मकानों में किरायेदार बाधा बने हुए हैं तो कहीं कानूनी मामले।

नगर निगम ने बीते जून महीने तक विभिन्न मोहल्लों के 118 भवनों को जीर्णशीर्ण घोषित कर ध्वस्त करने को लेकर नोटिस भेज दी है। शहर के पुराने मोहल्लों में सर्वाधिक जर्जर मकान हैं। सर्वाधिक 41 जर्जर मकान माधोपुर वार्ड में हैं तो तिवारीपुर में 25 जर्जर मकान हैं। जगरनाथपुर में कुंवर श्रीवास्तव का मकान 100 वर्ष से भी पुराना है। काफी भागदौड़ के बाद नगर निगम ने दो साल पहले इस भवन को जर्जर की श्रेणी में चिन्हित किया लेकिन किरायेदारों के पेच के चलते मकान को ध्वस्त नहीं किया जा सका है। वहीं अलहदादपुर में राणा सिंह का मकान पिछले वर्षों में आए भूकंप में भी काफी क्षतिग्रस्त हो गया था। बावजूद अभी तक इसे नहीं गिराया जा सका है। छोटेकाजीपुर के पार्षद अमरनाथ यादव का कहना है कि जीर्णशीर्ण मकान सिर्फ उसमें रहने वालों के लिए ही नहीं आसपास रहने वालों के लिए भी खतरनाक है। चक्सा हुसैन में भी दर्जन भर मकानों को जर्जर चिन्हित किया गया है।

कार्रवाई से बचते हैं नगर निगम के अधिकारी शहरी इलाकों में जर्जर भवनों को नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 331 क के तहत गिरासू यानी खतरनाक घोषित की जाता है। नगर निगम के अधिकारी ऐसे मकानों को चिन्हित तो कर लेते हैं लेकिन कार्रवाई से बचते हैं। पिछले 10 वर्षों में सिर्फ तीन मकान ध्वस्त हुए हैं। वहीं 30 से अधिक मकान खुद ध्वस्त हो गए। जर्जर मकानों को नोटिस भेजी जा रही हैँ। सभी 118 भवन मालिकों को नोटिस दी जा रही है कि वह खुद अपना मकान ध्वस्त करा लें। कुछ मकानों के मुकदमे कोर्ट में लंबित हैं। इसलिए उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती है। जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण को लेकर जल्द अभियान चलाया जाएगा। डीके सिन्हा, अपर नगर आयुक्त

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