बिहार में एक ऐसी भी जगह है जहां खुले आम जिस्म की बोली लगाई जाती है. वो भी जिला मुख्यालय के पास ही बसे एक इलाके में जिस्म का यह खेल किया जाता है. यहां ऊंची शौक पूरा करने के लिए बाहर से लडकियां और महिलायें आती है. जिनमें कई पढ़ी लिखी लड़कियां भी शामिल रहती हैं. जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलती है. हालांकि ये महिलाएं और लड़कियां अपने मुहल्ले वाले से दुरी बनाकर रखती है ताकि इनपर शक नहीं किया जा सके. अरवल के जनकपुर धाम के पास स्थित इलाके में यह सारा खेल चलता है. 500 से 1000 रुपये तक के अलग-अलग रेट पर महिलाओं की बोली लगती है. ये महिलाएं खुद को थियेटर कंपनी में काम करने वाली बताती हैं लेकिन जिस्म का धंधा करती है
कोई मजबूरी में तो कोई अपने शौक पूरा करने के लिए करती है यह काम
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कुछ महिला यहां बेरोजगारी और गरीबी के वजह से आती हैं. जबकि कुछ लड़कियों ने अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ रुपयों के लालच में जिस्म का सौदा कर लेती हैं.
रात में आते हैं खतरनाक अपराधी
इस एरिया रात में अपराधियों की मौजूदगी बढ़ जाती है. रात में अपराधी एवं खतरनाक लोगों का यहां ठहराव भी होता है. साथ ही घटना को अंजाम देने की योजना भी तैयार की जाती है. सोन नदी के किनारे होने के कारण दूसरे जिलों के अपराधियों के छिपने के लिए भी यह शरणस्थली का काम करता है. दिन भर असामाजिक तत्वों की भीड़ इन क्षेत्रों में लगी रहती है.
पढ़ी लिखी और फर्राटेदार अंगरेजी बोलनेवाली महिलाएं भी धंधे में लिप्त
जनकपुरधाम के रेड लाईट एरिया में रहनेवाली बाहर से आई लड़कियां पढ़ी-लिखी भी हैं. कई लड़कियां तो फर्राटेदार अंगरेजी भी बोल लेती हैं. खासकर बंगाल असम और नेपाल से आयी लड़कियां जो अपने घर से यह कह कर आती हैं कि नौकरी कर रहे हैं. लेकिन, यहां पर रेड लाईट की थियेटर कंपनी में धंधा कर रही हैं, जो पढ़ी-लिखी हैं.
ग्राहकों के लिए व्हाट्सअप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया का उठाया जाता है फायदा
एरिया में रहनेवाली कई लड़कियों के लिए फेसबुक, व्हाट्सअप जैसे सोशल मीडिया वरदान साबित हो रहे हैं. वे घर बैठे भी सोशल मीडिया के सहारे कई ग्राहकों को पटा लेती हैं. पहले फेसबुक, व्हाट्सअप पर चैटिंग, फिर मोबाइल पर बात करते-करते ग्राहक बना लेती हैं. सोशल मीडिया के जरिये अपने ग्राहकों को बुलाती हैं. सबसे ज्यादा उनकी बुकिंग फोन के जरिये ही होती है. इस काम को संचालित करने के लिए पुरुषों का भी योगदान रहता है.
पुलिस से बचने के लिए गली के बाहर इनके लोग देते हैं पहरा
पुलिस से बचने के लिए यह लोग गली के बाहर एक अपना आदमी तैनात कर देती हैं. जैसे ही पुलिस आती दिखायी देती है. वह आदमी तुरंत फोन पर सूचना देकर सभी को सावधान कर देता है.
जबरदस्ती भी इस दलदल में धकेली जाती हैं लड़कियां
बाहर से नृत्य करने के नाम पर आयी हुई लड़कियां कभी-कभी थिएटर कंपनी की संचालिका द्वारा जबरदस्ती इस धंधे में उतार दी जाती हैं.
किराये के मकान लेकर भी करती है धंधा
दूसरे राज्यों और देश से आती हैं महिलाएं
बाहर से भी आकर इस मोहल्ले में किराये का मकान लेकर भी कई लड़कियां देह-व्यापार का धंधा करती हैं. खासकर नेपाल, बंगाल, ओड़िशा और असम से आयी लड़कियां थियेटर कंपनी और आर्केस्ट्रा के नाम पर शादी-ब्याह के मौसम में बाहर से आकर किराये का मकान ले लेती हैं और फिर बुकिंग के नाम पर व्यापार करने लगती हैं.

पुलिस उपाधीक्षक शशिभूषण सिंह कही यह बात
पुलिस उपाधीक्षक शशिभूषण सिंह ने इस मामले में फिलाहल कोई नया मामला प्रकाश ने नहीं आने की बात कही है. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा लगातार छापेमारी होती रहती है और इस तरह के एरिया में छापेमारी के लिए पहले एसपी का आदेश लेना जरुरी होता है. साथ ही इसके लिए तैयारी भी भी करनी होती है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस गोरखधंधे में पाये जाने वालों पर जल्द से जल्द कार्रवाई की जाएगी.

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