नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू होने की मंजूरी मिल गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मध्यरात्रि से राज्य में केन्द्रीय शासन लागू करने के आदेश की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद 20 जून 2018 को राज्यपाल शासन लगा दिया गया था।
 
 
 
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद छह महीने तक राज्यपाल शासन लगाया जाता है। इस दौरान विधानसभा या तो निलंबित रहती है या इसे भंग कर दिया जाता है। अगर इन छह महीनों के भीतर राज्य में संवैधानिक तंत्र बहाल नहीं हो जाता, तो राज्यपाल शासन को आगे बढ़ाया जा सकता है या राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
 

 
बता दें कि राज्यपाल ने हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय को राज्य में छह महीने से जारी राज्यपाल शासन की अवधि 19 दिसंबर को समाप्त होने के मद्देनजर राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। भारतीय जनता पार्टी के पीपुल्स डमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ जारी गठबंधन से समर्थन वापस लेने के बाद 20 जून से राज्य में राज्यपाल शासन लगाया गया था।
 
 
उस समय तक पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री के रूप में गठबंधन सरकार चला रही थीं। राज्यपाल शासन के दौरान पिछले छह महीने से विधानमंडल की शक्तियां राज्यपाल में निहित थीं और अब राष्ट्रपति शासन लागू होने के साथ संसद के अधीन हो जाएंगी।
 

 
इससे पहले एन एन वोहरा ने राज्य प्रशासन का नेतृत्व किया था, जिनके स्थान पर 23 अगस्त को मलिक ने राज्यपाल का पदभार ग्रहण किया। मलिक ने विधानसभा में बहुमत साबित करने और अगली सरकार के गठन के मेहबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज़ाद लोन के दावों और प्रतिदावों के बीच 21 नवंबर को विधान सभा को भंग कर दिया था।
 

 
जम्मू-कश्मीर ने 1989 से 1996 के बीच लगभग छह वर्षों की लंबी अवधि तक राष्ट्रपति शासन को देखा है। क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के नेता डॉ फारुक अब्दुल्ला ने 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार द्वारा राज्य के नए राज्यपाल के रूप में जगमोहन की नियुक्ति के बाद इस्तीफा दे दिया था। डॉ अब्दुल्ला के नेतृत्व में एनसी के दो-तिहाई बहुमत के साथ नयी सरकार के गठन के साथ ही अक्टूबर 1996 में राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया था।

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