भारत का आंतरिक फैसला जोकि कश्मीर को लेकर लिया गया था उसपर सहमे हुए पाकिस्तान ने अब चीन का दरवाजा खटखटाया है। सभी जगहों से ठोकर मिलने के बाद निराश होकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी चीन पहुंचे हैं और वहां पर मदद की गुहार लगाई है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री कश्मीर मामले में चीन का समर्थन हासिल करना चाहते हैं।

पाकिस्तानी मंत्री की गुहार पर चीन ने लिखित में यह कहा, “हम पाकिस्तान और भारत का आह्वान करते हैं कि संवाद और बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाएं तथा संयुक्त रूप से क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता कायम करें।”
चीन ने अनुच्छेद 370 से संबंधित भारत के फैसले का सीधा उल्लेख किये बिना कहा, ”सबसे पहली प्राथमिकता है कि संबंधित पक्ष को एकतरफा तरीके से यथास्थिति में बदलाव करना रोकना चाहिए और तनाव बढ़ाने से बचना चाहिए।”

चीन ने छह अगस्त को लद्दाख को भारत का केंद्रशासित प्रदेश बनाने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता की अनदेखी की गयी है।
बता दें कि कुरैशी के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर 11 अगस्त से यहां तीन दिनों की दौरा शुरू करने वाले हैं। इस दौरान वह अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ व्यापक बातचीत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में यह किसी भारतीय मंत्री की पहली चीन यात्रा होगी। यह यात्रा पहले से निर्धारित है।

मालूम हो कि भारत ने मंगलवार को जम्मू कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराओं को समाप्त कर दिया है और प्रदेश को जम्मू कश्मीर तथा लद्दाख, दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा है।

पाकिस्तान ने भारत की कार्रवाई को ‘एकतरफा और गैरकानूनी करार देते हुए कहा कि वह इस मामले को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाएगा। पाकिस्तान के फैसले पर पूछे गये सवालों के जवाब में चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा, ”चीन ने पाकिस्तान के संबंधित बयान पर संज्ञान लिया है।

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