सभी बसों में लगे आग बुझाने वाले उपकरणों की जांच की जाएगी। जांच में अगर ये कारगर नहीं होंगे तो बसों के परिचालन पर ही रोक लगा दी जाएगी। इस संबंध में परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने सभी डीटीओ और एमवीआई को निर्देश दिया है। बसों के परिचालन की इजाजत तब तक नहीं दी जाए जब तक कि आग से बचाव को लेकर समुचित प्रबंध नहीं हो।
 
परिवहन सचिव ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी बसों में अग्निशामक यंत्र का होना अनिवार्य है। इसके नहीं होने पर बस में आग लगने की स्थिति में तत्काल उसपर पर काबू नहीं पाया जा सकता। परिवहन सचिव ने सभी जिला परिवहन पदाधिकारियों को कहा है कि अपने-अपने जिलों में चल रही बसों की जांच करें। अग्निशामक यंत्र हैं तो वह कारगर हैं या नहीं, यह देखें। कारगर नहीं हैं तो वैसे बसों के परिचालन पर रोक लगाएं। आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम होने के बाद ही परिचालन की इजाजत दी जाए।

परिवहन सचिव ने कहा कि आग से बचाव के लिए बस के कंडक्टर और चालक को प्रशिक्षण दिया जाएगा। नियम के तहत बसों की क्षमता के अनुसार एक या एक से अधिक अग्निशामक यंत्र होने चाहिए। एक ड्राइवर की सीट के पास होना जरूरी है।

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