पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाह फैसल ने कश्मीर को लेकर विवादित बयान दिया है. शाह फैसल ने कहा कि हमारे सामने दो ही रास्ते हैं. कश्मीर कठपुतली बने या अलगाववादी. इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीतिक अधिकारों को दोबारा पाने के लिए कश्मीर को लंबे, निरंतर और अहिंसक राजनीतिक आंदोलन की जरूरत है.

इससे पहले शाह फैसल ने बुधवार को यह कहा था कश्मीर ‘अप्रत्याशित’ नाकेबंदी से गुजर रहा है और इसकी 80 लाख की आबादी ऐसी ‘कैद’ मैं है जिसका सामना उसने पहले कभी नहीं किया. फैसल ने यह भी कहा था कि फिलहाल खाने और ज़रूरी चीज़ों की कमी नहीं है. फैसल ने फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में कहा कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन से संपर्क करना या उन्हें संदेश भेजना संभव नहीं है. घाटी में संचार माध्यमों पर प्रतिबंध है और चंद मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन ही चल रहे हैं. इस वजह से कश्मीर से थोड़ी-थोड़ी सूचनाएं ही आ रही हैं. गौरतलब है कि संसद ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने तथा राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने को मंजूरी दे दी है.

जम्मू कश्मीर पीपल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष फैसल ने फेसबुक पोस्ट में कहा, “कश्मीर अप्रत्याशित नाकेबंदी का सामना कर रहा है. ज़ीरो ब्रिज से लेकर एयरपोर्ट तक सिर्फ चंद गाड़ियां ही दिख रही हैं. अन्य स्थानों पर लोगों के जाने पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है. कुछ मरीज़ों और कर्फ्यू पास रखने वाले लोगों को ही जाने दिया जा रहा है.”
फैसल ने कश्मीर के जानकारी देते हुए कहा था कि अन्य जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है. साल 2010 में सिविल सेवा में टॉप करने वाले फैसल ने कहा, “आप कह सकते हैं कि 80 लाख की आबादी कैद की ऐसी स्थिति का सामना कर रही है जो उसने पहले कभी नहीं देखी है.”
फिलहाल, खाने और ज़रूरी चीज़ों की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा, “प्रशासन में मेरे सूत्रों ने बताया है कि अधिकारियों को सेटेलाइट फोन दिए गए हैं जिनका इस्तेमाल नागरिक रसद में समन्वय के लिए किया जा रहा है. संपर्क का कोई अन्य साधन उपलब्ध नहीं है.”

फैसल ने दावा किया था कि, “जिन लोगों के पास डिश टीवी है, वे ही खबरें देख पा रहे हैं. केबल सेवा बंद है. बहुत सारे लोगों को जो हुआ है उसकी स्पष्ट जानकारी नहीं है. कुछ घंटे पहले तक रेडियो काम कर रहा था. ज़्यादातर लोग डीडी देख रहे हैं. राष्ट्रीय मीडिया को अंदरूनी इलाकों में जाने नहीं दिया जा रहा है.”

उन्होंने दावा किया कि एलडी अस्पताल अपनी क्षमता से ज़्यादा भरा हुआ है और गर्भवती महिलाओं को बच्चे को जन्म देने की तारीख से कुछ दिन पहले ही अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है. फैसल ने कहा कि आधिकारिक तौर पर हिंसा की कोई घटना रिपोर्ट नहीं हुई है. रामबाग, नातीपुरा, डॉउनटॉउन, कुलगाम, अनंतनाग में पथराव की छिटपुट घटनाएं हुई हैं, लेकिन किसी के मरने की कोई खबर नहीं है.
उन्होंने फेसबुक पर लिखे पोस्ट में कहा, “लोग स्तब्ध हैं. उन्हें अभी समझना है कि क्या हो गया है. सबको दुख है. अनुच्छेद 370 के अलावा पूर्ण राज्य के दर्जे को खोने को लेकर लोग काफी आहत हैं. यह भारत द्वारा 70 साल में सबसे बड़े धोखे के तौर पर देखा जा रहा है.”

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