आदतन अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए पुलिस उनकी जमानत रद्द कराने की मुहिम शुरू करेगी। इसके लिए बजाप्ता जिलों में पुलिस अधिकारियों की एक टीम होगी। इसे जिला पुलिस में विधि शाखा कहा जाएगा। यह टीम जमानत रद्द कराने के लिए सरकारी वकीलों से भी सलाह-मशविरा करेगी। केस को मजबूती से अदालत में रखा जाए इसके लिए तमाम तरह के जरूरी कागजात भी तैयार किए जाएंगे। इसके बाद जमानत रद्द कराने को याचिका दायर होगी।
 
जमानत की शर्तों को आधार बनाएगी पुलिस जमानत रद्द कराने के लिए पुलिस जमानत की शर्तों को आधार बनाएगी। किसी अपराध में जेल गया बदमाश जमानत पर बाहर आने के बाद दोबारा अपराध करता है तो उसे मिली जमानत रद्द कराई जाएगी। नए मामलों में उसकी संलिप्तता के साक्ष्य मिलते हैं तो यह कार्रवाई की जाएगी। पुलिस याचिका दायर कर अभियुक्त को पूर्व में दिए गए जमानत को रद्द कराने की गुहार लगाएगी। यदि किसी को सत्र न्यायालय से जमानत मिली है तो उसके खिलाफ याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल होगी।

इन तैयारियों के साथ कोर्ट जाएगी पुलिस सरकार ने जो व्यवस्था की है उसके तहत जमानत रद्द कराने के लिए यूं ही कदम नहीं उठाए जाएंगे। पुलिस अधिकारी इसके लिए पूरी तैयारी करेंगे। जिस कांड में अभियुक्त को जमानत मिली है उसके एफआईआर की कॉपी, उससे संबंधित आरोप-पत्र, पूर्व में दी गई जमानत की न्यायालय से सर्टिफाइड कॉपी को रखा जाएगा। इसके अलावा जमानत के बाद जिस आपराधिक घटना में अभियुक्त का नाम आया है उसकी प्राथमिकी, पर्यवेक्षण रिपोर्ट, अभियुक्त का आपराधिक इतिहास भी साथ ले जाया जाएगा। वहीं याचिका दायर करने के पहले महाधिवक्ता से आवश्यक राय ली जाएगी और उसी के मुताबिक कार्रवाई होगी।
 
वर्ष 2012 में की गई थी पहल अपराधियों की जमानत रद्द कराने की मुहिम वर्ष 2012 में शुरू हुई थी। तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने इसके लिए बजाप्ता एक टीम तैयार की। जिलों से वैसे अपराधियों की सूची मंगाई गई जो बार-बार अपराध में लिप्त पाए गए थे। ऐसे करीब 450 मामलों में जमानत रद्द कराने की अपील दायर की गई थी। लगभग 50 अपराधियों की जमानत रद्द कराने में पुलिस को सफलता भी मिली थी। बाद में दिनों में यह मुहिम शिथिल पड़ गई।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *