पैनइंडिया जिस स्रोत से शहर में जलापूर्ति के लिए पानी ले रहा है, उसमें कैंसर के तत्व हैं. इसका खुलासा चेन्नई की कंपनी नासिंड इंजीनियरिंग सर्विसेस की ऑडिट रिपोर्ट से हुआ है. यह रिपोर्ट नगर निगम के पास है. पैन इंडिया के पास स्रोत से लिए गए पानी के ट्रीटमेंट की समुचित व्यवस्था नहीं है. ऐसी स्थिति में आशंका है कि एजेंसी जिस पानी को शहरवासियों को आपूर्ति कर रही है, कहीं उसमें भी तो कैंसर के तत्व तो नहीं हैं? हालांकि इसका पता तब चलेगा जब नगर निगम प्रशासन आपूर्ति की जा रही पानी के नमूने की जांच कराए. लेकिन इस मामले में निगम प्रशासन पर भी सवालों के घेरे में है. कारण यह है कि जब निगम प्रशासन के पास ऑडिट रिपोर्ट है और उसे पता है कि स्रोत के पानी में कैंसर के तत्व हैं तो वह बरारी वाटर वर्क्स से आपूर्ति की जा रही पानी की जांच क्यों नहीं करवा रहा है.

वरीय फिजिशियन डॉ.हेमशंकर शर्मा की माने तो जिस भी तत्व में कारसिनोजेनिक केमिकल पाया जाता है उसमें कैंसर के लक्षण जाते हैं. अगर लगातार कोई भी व्यक्ति इस तरह के पानी का इस्तेमाल करेगा तो उसमें कैंसर होने की संभावना बढ़ जाएगी.

चेन्नई की कंपनी नासिंड इंजीनियरिंग सर्विसेस ने ऑडिट रिपोर्ट में स्थानीय लोगों का भी बयान रिकॉर्ड किया था. जिसमें बताया गया था कि नाथनगर और चंपानगर इलाके में नाले का पानी गंगा में प्रवाहित होता है और उसमें केमिकल मिला है. वहां के पानी की जांच की गई तो उसमें कारसिनोजेनिक केमिकल पाया गया है जो कैंसर की मुख्य वजह होती है. एजेंसी ने 8 जनवरी को अपनी ऑडिट रिपोर्ट निगम प्रशासन को भी भेजी है पर निगम प्रशासन इसे दबाए बैठा था.
^हमलोग पानी को ट्रीट कर सप्लाई करते हैं. पानी का सोर्स गंगा है. उसमें यह केमिकल रहा है तो उसे हम रोक नहीं सकते. इसके लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की जरूरत है जो सरकार प्लान कर रही है.

डिप्टी मेयर ने भी सवाल इस पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा है कि पैनइंडिया और बुडको जिस तरह से काम कर रहा है. उसकी मॉनिटरिंग का तरीका ठीक नहीं है. शहरवासियों को केमिकलयुक्त गंदा पानी पिलाने की जिस तरह से रिपोर्ट आई है, वह खतरनाक है. अगर समय रहते सुधार नहीं किया गया तो हम एजेंसी के खिलाफ आंदोलन करेंगे.
इनपुट:DBC

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