दुबई से जान बचाकर भारत भागा कामगार

  • उसे मिल रहा था ISI एजेंट बनने के लिए 2 लाख का ऑफर
  • यूपी के मुजफ्फरनगर का रहने वाला था युवक
  • तीन एजेंट द्वारा बड़े बड़े ख्वाब दिखाकर उसे भेजा था दुबई
  • लेकिन वो पाकिस्तानी ISI एजेंट के चुंगल में फंसने वाला था

 
15 दिन की यातनाएं सहने के बाद युवक बड़ी मुश्किल से निकल पाया

  • युवक का नाम मोनिश है जो 27 तारीख को एजेंट द्वारा इलेक्ट्रिशन का काम करने दुबई भेजा गया
  • लेकिन वहां पर एजेंट उसे कंपनियों के बीच घुमाता रहा पर उसे काम नहीं दिया गया
  • फिर बाद में पाकिस्तानी एजेंट ने उसे नौकरी देने के लिये पाकिस्तान भेजने को कहा
  • मोनिश ने जब उनसे काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसे आईएसआई के लिए काम करना पड़ेगा

 
जिसकी एवज में उसे दो लाख रुपये महीना दिए जाएंगे

  • यह सुनते ही उसने मना कर दिया
  • जिसके बाद एजेंट ने खाना-पीना बन्द कर दिया गया और कई तरह की यातनाएं दी
  • उसके साथ चार गोरखपुर के युवक को एजेंट कैद कर रखा था
  • करीब 15 दिनों बाद मोनिश वहां से नमाज पढ़ने के बहाने भागा
  • और वीजा, पासपोर्ट लेकर अपने भाई के पास पहुंच गया

 
उसका भाई पहले से दुबई में काम करता था

  • फिर उसने अपने भाई को सारी कहानी बात दी
  • और कुछ दिन रुकने के बाद वह भारत लौट आया
  • भारत आने के बाद उसने कहा नहीं थी मेरी बचने की उम्मीद
  • मुझे अल्लाह ने बचा लिया

 

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के पुरकाजी थाना क्षेत्र के गांव नगला दुहेली निवासी एक युवक को क्षेत्र के तीन एजेंट द्वारा ऊंचे ख्वाब दिखाकर दुबई भेज दिया गया। वहां वह पाकिस्तानी ISI एजेंट के चुंगल में फंसने से बच गया। 15 दिन की यातनाएं सहने के बाद युवक बड़ी मुश्किल से निकल पाया।
दरअसल मुजफ्फरनगर के पुरकाजी क्षेत्र गांव नगला दुहेली निवासी मोनिश पुत्र रियासत अली ने बताया कि वह मई माह की 27 तारीख को अपने क्षेत्र के एजेंट द्वारा दुबई में इलेक्ट्रिशन मिस्त्री के लिए काम करने गया था। मगर वहां मिले एजेंट ने उसे तीन दिन कई कम्पनियों में घुमाया और किसी ने भी उसे नौकरी पर नहीं रखा। फिर बाद में पाकिस्तानी एजेंट ने उसे नौकरी देने के लिये पाकिस्तान भेजने को कहा। मोनिश ने जब उनसे काम के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसे आईएसआई के लिए काम करना पड़ेगा, जिसकी एवज में उसे दो लाख रुपये महीना दिए जाएंगे।
मोनीश ने पाकिस्तान जाने से मना कर दिया, तब उसका एजेंट ने खाना-पीना बन्द कर दिया गया और कई तरह की यातनाएं दी गईं। मोनीश ने बताया उसके साथ चार गोरखपुर के भी युवक ऐसे ही कैद थे। उनको भी यातनाएं दी जा रही थी। लगभग 15 दिन के बाद नमाज पढ़ने के बहाने वह लिए गए वीजा, पासपोर्ट लेकर अपने सगे भाई, जो पहले से ही दुबई में रहता है और कारपेंटर का कार्य करता हैं, के पास पहुंच गया और आपबीती बताई। मोनीश ने बताया कि उसे बचने की कोई उम्मीद नहीं थी, अल्लाह ने उसे बचा लिया। कुछ दिन भाई के पास रुकने के बाद मोनीश घर पहुंचा और गलत तरीके से विदेश भेजने वाले को खिलाफ थाने में तहरीर देकर कार्रवाई करने की मांग की।

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