कतर के श्रम मंत्री इस्सा साद अल-जफाली अल-नुएमी ने कहा कि कफाला नियमों को 13 दिसंबर से खत्म कर दिया जाएगा. इसकी जगह, कतर में काम करने वाले 21 लाख विदेशी श्रमिकों के लिए कॉन्ट्रैक्ट वाली व्यवस्था लाई जा रही है.

कफाला के तहत कतर में काम करने वाले सभी विदेशी कामगारों को एक स्थानीय प्रायोजक की जरूरत होती है. यह कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कोई कंपनी भी. अगर कामगार को नौकरी बदलती है तो इस प्रायोजक से अनुमति लेनी पड़ती है. आलोचक इस सिस्टम को आधुनिक दौर की गुलामी बताते हैं क्योंकि इसमें कामगारों के अधिकारों का कोई संरक्षण नहीं था और उनका उत्पीड़न बहुत होता था.
 
खाड़ी देश कतर ने आखिरकार अपने विवादास्पद ‘कफाला सिस्टम’ को खत्म कर दिया है. 2022 में फुटबॉल विश्व कप की मेजबानी करने वाले कतर में इसे सबसे बड़ा श्रम सुधार बताया जा रहा है.

नुएमी का कहना है, “नए कानून के जरिए कतर में काम करने वाले विदेशी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा होगी. इसमें आधुनिक कॉन्ट्रैक्ट सिस्टम को लाया जाएगा जिससे श्रमिकों को नौकरी बदलने में भी आसानी होगी.”
 
 
कतर के अधिकारियों का कहना है कि नए कानून से देश के भीतर आने-जाने की आजादी होगी. उनके मुताबिक अगर किसी श्रमिक को लगता है कि उसके साथ अच्छा बर्ताव नहीं हो रहा है तो वह नौकरी बदल सकता है. हालांकि श्रमिकों को अपने देश जाने के लिए अब भी कंपनी या मालिक की अनुमति लेनी होगी.
 

 
जो लोग या कंपनियां श्रमिकों के पासपोर्ट जब्त कर लेते हैं, उन पर अब 25 हजार रियाल (6,800 डॉलर) का जुर्माना होगा जबकि कफाला के तहत जुर्माना 15 हजार रियाल था. बहुत से श्रमिकों की यह भी शिकायत होती है कि उन्हें कतर अधिक वेतन के वादे के साथ लाया गया था लेकिन यहां उन्हें उतना पैसा नहीं मिल रहा है. अधिकारियों का कहना है कि नए कानून के तहत इस तरह की शिकायतों पर ध्यान दिया जा सकेगा. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल नियोक्ताओं के खिलाफ छह हजार शिकायतें दर्ज की गईं.
 

 
जब से कतर 2022 के फुटबॉल वर्ल्ड कप का मेजबान बना है, तब से उसके श्रम कानूनों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है और सबसे ज्यादा विवाद कफाला को लेकर है. कतर के श्रम मंत्री नुएमी ने आलोचकों से कहा है कि नए कानून के प्रभावी होने के लिए वे थोड़ा सा समय दें.
 
 
लेकिन मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि नए कानून से ज्यादा फर्क पड़ने वाला नहीं है. संस्था से जुड़े जेम्स लिन कहते हैं, “नए कानून में सिर्फ प्रायोजक शब्द हटा दिया जा सकता है, लेकिन बुनियादी व्यवस्था तो वैसी ही रहेगी. यह अच्छी बात है कि कतर ने माना है कि उसके कानूनों से लोगों का शोषण हो रहा है लेकिन ये बदलाव पर्याप्त नहीं हैं और श्रमिकों का मुकद्दर अब भी उनका शोषण करने वाले बॉस ही तय करेंगे.”
 
 
 
वहीं, कतर की सरकार एमनेस्टी की आलोचना को खारिज करती है और उसका कहना है कि वह ऐसी श्रम व्यवस्था बनाने के लिए बचनबद्ध है जो कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के लिए उचित हो और बदलावों से श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित होगी.

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