यमन में दक्षिणी अलगाववादियों ने बताया कि उन्होंने सरकार की वफादार सेना के साथ भीषण लड़ाई के बाद अदन में राष्ट्रपति भवन को अपने कब्जे में ले लिया है. सरकार ने इसकी निंदा करते हुए इसे संयुक्त अरब अमीरात समर्थित तख्तापलट बताया. यह लड़ाई अलगावादियों और सरकार की वफादार सेना के बीच गहरी खाई को दिखाती है. दोनों ने ही शिया हूती विद्रोहियों से लड़ाई लड़ी है.
 

 
यमन के राष्ट्रपति अब्देरब्बो मंसूर हादी को हूती से लड़ रही सऊदी अरब के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना का समर्थन हासिल है. हूती विरोधी गठबंधन में रियाद द्वारा प्रशिक्षित एक अन्य सेना को संयुक्त अरब अमरीत का समर्थन प्राप्त है. यह सेना बुधवार से अदन में सरकार की वफादार सेना से लड़ रही थी.
 
 
संयुक्त अरब अमीरात के समर्थन वाली ‘सिक्योरिटी बेल्ट फोर्स’ के एक अधिकारी ने शनिवार देर रात बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया है. यह फोर्स सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) का समर्थन करती है जो दक्षिणी यमन को स्वतंत्र राज्य के रूप में बहाल करने का मांग करती है जैसे कि वह 1967 से 1990 तक के दौर में था. अधिकारी ने बताया, राष्ट्रपति गार्ड से दो सौ सैनिकों को भवन से सुरक्षित बाहर जाने दिया गया.
 

 
यमन सरकार ने शनिवार देर रात एसटीसी और संयुक्त अरब अमीरात को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. यमन के विदेश मंत्रालय ने टि्वटर पर कहा, ‘यमन अदन में वैध सरकार के खिलाफ तख्तापलट के लिए ट्रांजिशनल काउंसिल और संयुक्त अरब अमीरात को जिम्मेदार ठहराता है.’
 

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