आधार नंबर देने की जरूरत नहीं : आज से आपको अपने 12 अंकों का आधार नंबर किसी को देने की जरूरत नहीं है। इसकी बजाय एक वर्चुअल नंबर जनरेट कर सकेंगे, जिससे आप किसी भी तरह का सरकारी वैरीफिकेशन करा सकेंगे। आधार नंंबर देने से निजी जानकारी उजागर होने का खतरा रहता था।
आधार नंबर जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने वर्चुअल आईडी (वीआईडी) बनाने के लिए बीटा संस्करण लांच कर दिया है। 1 जून, 2018 से किसी भी तरह की सेवा प्रदाता संस्थाएं आधार नंबर के स्थान पर इस वीआईडी को स्वीकार करने लगेंगी।
पते के प्रूफ में शामिल नहीं होगा पासपोर्ट : विदेश मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार, 1 जून से पासपोर्ट की बुकलेट के आखिरी पन्ने पर पते की डिटेल्स नहीं होगी। इसके स्थान पर एक बारकोड होगा, जिसको स्कैन कर अधिकारी जानकारी जुटा सकेंगे। हालांकि यह डिटेल्स पासपोर्ट बुकलेट की नई सीरिज पर होगी। जब तक रीजनल पासपोर्ट ऑफिस के पास पुरानी बुकलेट का स्टॉक मौजूद रहेगा, तब तक आखिरी पन्ने पर पता लिखा जाएगा। लेकिन यह अब पते के प्रूफ के तौर पर इसका प्रयोग नहीं किया जा सकेगा।

UIDAI ने वर्चुअल आईडी प्रणाली के लिए समय सीमा बढ़ाई

यूआईडीएआई ने बैंक और दूरसंचार कंपनियों के लिए वर्चुअल प्रणाली लगाने और आधार के बदले इसे स्वीकार करने की समय सीमा एक महीने बढ़ाकर अब एक जुलाई कर दी है। वर्चुअल आईडी का उद्देश्य उपयोगकर्ताओं को यह विकल्प उपलब्ध करवाना है कि उन्हें प्रमाणन के समय अपना आधार नंबर नहीं बताना पड़े। आधार जारी करने वाली यूआईडीएआई ने इससे पहले कहा था कि सभी एजेंसियों के लिए एक जून 2018 से वर्चुअल आइडी स्वीकार करना अनिवार्य होगा।
 
यूआइडीएआइ के सीईओ अजय भूषण पांडे ने बताया कि हम इसके लिए तैयार हैं। लेकिन, एजेंसियों को नई प्रणाली अपनाने के लिए कुछ और समय चाहिए। इसलिए हमने उन्हें एक जुलाई तक का समय दिया है। इस साल जनवरी में निजता से जुड़ी चिंताओं को दूर करते हुए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने वर्चुअल प्रणाली शुरू करने की घोषणा की थी। इस प्रणाली के जरिये कोई भी आधार कार्ड धारक अपनी वेबसाइट से वर्चुअल आइडी निकाल सकेगा और विभिन्न पहचान कार्यों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकेगा

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