कुवैत सरकार के एक नए आदेश से वहां नौकरी कर रहे भारतीय इंजीनियर मुश्किल में फंस गए हैं। नए आदेश के बाद अब वे कुवैत इंजीनियर्स सोसायटी से एनओसी लेकर ही वहां काम कर सकेंगे। यह सोसायटी सिर्फ नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिएशन (एनबीए) द्वारा मान्यता प्राप्त कोर्सेस को ही एनओसी दे रही है, जबकि 90 प्रतिशत इंजीनियर्स के पास आॅल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) की डिग्री है। भारत के विभिन्न शहरों के सैकड़ों इंजीनियर्स भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। भास्कर ने कुवैत में रहकर इस समस्या से जूझ रहे इंदौर के रितेश मकवानी से बात की तो पता चला कि इससे प्रदेश और शहर के भी कई इंजीनियर्स जूझ रहे हैं।

राऊ में रहने वाले विवेकानंद स्कूल के प्राचार्य राजेंद्र मकवानी के बेटे रितेश ने इंदौर के आईपीएस कॉलेज से फायर एंड सेफ्टी में इंजीनियरिंग की है। वे मार्च 2016 से कुवैत ऑइल कंपनी में इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया 11 मार्च को पब्लिक अथॉरिटी ऑफ मैन पॉवर ने आदेश जारी किया। इसमें कहा गया कि कुवैत में रह रहे भारतीय इंजीनियर्स को कुवैत सोसायटी ऑफ इंजीनियर्स से एनओसी लेना होगी। इसके आधार पर ही उनके वहां काम करने और रहने की अनुमति (वर्क परमिट और रेसीडेंस) मान्य होगी। रितेश ने बताया कि उन्होंने परिवार के रहने की मंजूरी तो एक साल के लिए रीन्यू करवा ली, लेकिन 12 अप्रैल को उनकी अनुमति लैप्स हो गई। वे अभी अस्थाई परमिट पर हैं, जो तब तक ही वैध है, जब तक वे देश नहीं छोड़ते। अगर उन्होंने देश छोड़ा तो फिर वापस नहीं आ सकेंगे।

दफ्तर से छुट्‌टी लेकर लोग लगे हैं कतार में
रितेश ने बताया कि कुवैत सोसायटी ऑफ इंजीनियर्स के पास बहुत पुराना सकुर्लर है। इसके आधार पर वे सिर्फ नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिएशन (एनबीए) द्वारा अधिमान्य कोर्स को ही एनओसी दे रहे हैं। दूसरी तरफ भारत में होने वाले 90 प्रतिशत टेक्निकल कोर्स की अधिमान्यता आॅल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेश (एआईसीटीई) के द्वारा ही दी जाती है। यही कारण है कि कुवैत में काम कर रहे लगभग सभी इंजीनियर्स के पास एआईसीटीई की अधिमान्यता वाली डिग्री है। इसके अलावा कुवैत सोसायटी ऑफ इंजीिनयर्स भी इस आदेश के तीन महीने बाद कोई वैकल्पिक इंतजाम नहीं कर सकी है, क्योंकि उनके पास इतना इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है। लोग दफ्तरों से छुटि्टयां लेकर लंबी कतारों में लगे हैं।

यह है हल : सरकार भरोसा दे मान्यता का
भारत सरकार को कुवैत सरकार से बात कर सिर्फ यह सुनिश्चित करवाना है कि एनबीए की तरह ही एआईसीटीई भी भारत सरकार द्वारा अधिमान्य एजेंसी है। इसके बाद समस्या का हल हो जाएगा।

विदेश मंत्री को ट्वीट : सरकार के स्तर पर ही फैसला संभव, कुवैत में भी समाधान की हलचल
इस संबंध में इंजीनियर्स ने ट्विटर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज सहित संबंधित विभागों को कई बार ट्वीट किए, लेिकन कोई असर नहीं हुआ। भास्कर ने मामला लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन तक पहुंचाया। उनके प्रतिनिधि राजेश अग्रवाल ने बताया इस संबंध में हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि विदेश मंत्रालय कुवैत सरकार से संपर्क कर जल्द से जल्द समाधान करे। हालांकि कुवैत सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है, जल्द से जल्द कोई न कोई रास्ता निकाल लिया जाएगा।

परेशानी ज्यादा : कई ऑइल कंपनियों में सेवाएं दे रहे भारतीय इंजीनियर्स
मकवानी के मुताबिक, कई ऑइल कंपनियों में काम कर रहे भारतीय इंजीनियर्स और उनके परिवार के सामने रोजगार की परेशानी पैदा हो सकती है, क्योंकि अगर नए नियमों के तहत वे एनओसी नहीं ला पाए तो उनके लिए कुवैत में रहना मुश्किल हो जाएगा। हमने इस बारे में सरकार के नुमाइंदों को बताया है।
इनपुट:DBC

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