केंद्र सरकार ने 328 फिक्स डोज कॉम्बिनेशन (एफडीसी) दवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। रोक के बाद इन दवाओं को अब देश में बनाया या बेचा नहीं जा सकेगा। एक महीने पहले ही उसके टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने ऐसी सिफारिश की थी। जिस पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने मुहर लगा दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले से कई दवा कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। देशभर में इन दवाइयों के करीब 6 हजार ब्रांड हैं।

इनमें कई ऐसी दवाइयां शामिल हैं, जिन्हें हर कोई बिना किसी डॉक्टर के सलाह के तुरंत आराम पाने के लिए खुद से खरीद लेते हैं। कई दवाएं सिरदर्द, जुकाम, दस्त, पेट दर्द जैसी बीमारी में ली जाती हैं। मंत्रालय का मानना है कि सेरिडॉन, विक्स एक्शन 500 और कोरेक्स जैसी सर्दी-खांसी व सामान्य बुखार की निश्चित खुराक वाली दवाएं लोगों की सेहत के लिए बहुत खतरनाक होती हैं। कई देशों में इन दवाईयों पर बैन भी है।
 
जिन दवाओं पर रोक लगाई गई है, उनमें सेरिडॉन, विक्स ऐक्शन 500, कोरेक्स, सुमो, जीरोडॉल, फेंसिडील, जिंटाप, डिकोल्ड और कई तरह के ऐंटीबायॉटिक्स, पेन किलर्स, शुगर और दिल के रोगों की दवाएं शामिल हैं। अभी और भी कई एफडीसी दवाएं हैं, जो देश में बिक रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार 500 और एफडीसी पर रोक लगा सकती है।

डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं मिलेगी दवाई
इसी के साथ सरकार ने 6 एफडीसी को बेचने के लिए निर्देश जारी किए हैं। इन दवाइयों को कड़े प्रतिबंधों के साथ बेचा जा सकेगा। अगर किसी मरीज के पास इन दवाइयों के लिए डॉक्टर का पर्चा नहीं है, तो उन्हें ये दवाई नहीं बेची जा सकेगी। गौरतलब है कि सरकार ने मार्च 2016 में 349 एफडीसी पर बैन लगा दिया था। दवा कंपनियां इस बैन के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में चली गई थीं। हाई कोर्ट ने बैन को खारिज कर दिया था। इस पर सरकार और कुछ निजी हेल्थ संगठन सुप्रीम कोर्ट चले गए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से बैन की गई दवाओं की जांच के लिए एक कमिटी बनाने और रिपोर्ट देने को कहा था।
 

जानिए क्या होती हैं एफडीसी दवाएं
एफडीसी दवाएं वह होती हैं, जिन्हें दो या दो से अधिक दवाओं को मिलाकर बनाया जाता है। इन दवाओं पर देश में एक लंबे समय से विवाद चल रहा है। हेल्थ वर्कर्स के साथ ही संसद की एक समिति ने भी इन पर सवाल उठाए हैं। समिति का कहना है कि ये दवाइयां बिना मंजूरी और अवैज्ञानिक तरीके से बनाई जाती हैं।
इनमें कई ऐंटीबायॉटिक दवाएं भी शामिल हैं। जिन एफडीसी पर विवाद हो रहा है, उन्हें भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल की मंजूरी के बिना ही देश में बनाया और बेचा जा रहा था। इन एफडीसी को राज्यों ने अपने स्तर पर मंजूरी दे दी थी। केंद्र इसे गलत मानता है। उसका कहना है कि किसी भी नई ऐलोपैथिक दवा को मंजूरी देने का अधिकार राज्यों को नहीं है।
इन देशों में है एफडीसी दवाइयों पर बैन
अमेरिका, जापान, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के साथ ही कई देशों में एफडीसी पर रोक है। भारत के साथ ही कई विकासशील देशों में ये बिकती हैं। देश में महज पुडुचेरी एक ऐसा राज्य है, जिसने एफडीसी पर रोक लगा दी है।

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